पापी पेट का सवाल है पापी पेट का सवाल है।
न होता अगर पेट पापी,
न मांगती भीख सोना।
न काटता जेब पप्पू,
न नाचती महफिल में मोना।
पेट की खातिर बन गया भीखू,
कोठे का दलाल........................... पापी पेट का........... ।
पापी पेट की आग से,
पशु पक्षी भी जल रहे हैं।
तोता, मैना, बन्दर, भालू
सर्कस में खेल कर रहे हैं।
भूखे पेट शेर और हाथी,
दिखा रहे रिंग में कमाल................ पापी पेट का........... ।
भूखे आकर राजनीति में,
खूब खाते हैं ।
फिर भी नहीं अफरते,
पेट इनके बढ़ते जाते हैं।
कोई उठा देता है ऊँगली,
करवा देते हैं बवाल...................... पापी पेट का........... ।
कुछ खा गये भैंसों का चारा,
कुछ ने डकारे तेल में।
कुछ ने दिखाई कला बाजियां,
खा गये अरबों खेल में ।
नहीं शरमाते भ्रष्टाचारी,
उनको नहीं होता मलाल................ पापी पेट का........... ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
न होता अगर पेट पापी,
न मांगती भीख सोना।
न काटता जेब पप्पू,
न नाचती महफिल में मोना।
पेट की खातिर बन गया भीखू,
कोठे का दलाल........................... पापी पेट का........... ।
पापी पेट की आग से,
पशु पक्षी भी जल रहे हैं।
तोता, मैना, बन्दर, भालू
सर्कस में खेल कर रहे हैं।
भूखे पेट शेर और हाथी,
दिखा रहे रिंग में कमाल................ पापी पेट का........... ।
भूखे आकर राजनीति में,
खूब खाते हैं ।
फिर भी नहीं अफरते,
पेट इनके बढ़ते जाते हैं।
कोई उठा देता है ऊँगली,
करवा देते हैं बवाल...................... पापी पेट का........... ।
कुछ खा गये भैंसों का चारा,
कुछ ने डकारे तेल में।
कुछ ने दिखाई कला बाजियां,
खा गये अरबों खेल में ।
नहीं शरमाते भ्रष्टाचारी,
उनको नहीं होता मलाल................ पापी पेट का........... ।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
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