Friday 30 September 2016

अफसाना शेख चिल्ली का

याद आता है अफसाना,
शेख चिल्ली का। 
खम्बा नौंचना, 
खिसियाई बिल्ली का। 
नतीजा अपनी पिछली, 
हिमाकत का देख।
पूर्व (ना) पाक है अब,
सोनार बांग्लादेश। 
ना डाल नापाक नजर,
कश्मीर-जम्मू में। 
टूटेगा गरूर जलेगा घर, 
लगेगी आग तम्बू में। 
देते हैं हिदायत, 
जा चीन या बिलायत। 
लेना पड़ेगा सहारा तुझे, 
सदा नई दिल्ली का। 
याद आता है अफसाना,
शेख चिल्ली का। 

जयन्ती प्रसाद शर्मा 

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